नीलकंठ पक्षी की चतुराई | Panchtantra ki Kahani

«नीलकंठ पक्षी की चतुराई» एक प्रसिद्ध panchtantra ki kahani है, जो हमें सिखाती है कि समय पर सही निर्णय लेना कितना जरूरी होता है। इस कहानी के माध्यम से बच्चों को बुद्धिमानी, सतर्कता और दूरदृष्टि का मूल्य समझाया जाता है। यदि आप अपने बच्चों को छोटी लेकिन गहरी सीख देने वाली लघु कथा सुनाना चाहते हैं, तो यह कहानी अवश्य पढ़ें। यह न केवल रोचक है, बल्कि उनके नैतिक विकास में भी सहायक है।

नीलकंठ पक्षी की चतुराई

बहुत समय पहले की बात है। एक घने जंगल में एक नीलकंठ पक्षी अपने परिवार के साथ एक ऊँचे पेड़ पर रहता था। वह बहुत ही चतुर, दूरदर्शी और समझदार था। उसके आस-पास के अन्य पक्षी उसे अपना नेता मानते थे।

हर साल जब होली का समय आता, तो लोग जंगल से लकड़ियाँ काटकर होली जलाते। एक साल नीलकंठ ने देखा कि कुछ लोग उसी पेड़ की सूखी टहनी को काटने आ रहे हैं, जिस पर वह और अन्य पक्षी रहते थे।

नीलकंठ ने सब पक्षियों को इकट्ठा किया और कहा, “हमें इस खतरे को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए। अगर वे लोग इस पेड़ की टहनी काटेंगे, तो हम सबका घर उजड़ जाएगा।”

कुछ पक्षी हँस पड़े और बोले, “अरे! हर साल ऐसा होता है। कुछ नहीं होगा।”

लेकिन नीलकंठ ने उनकी बात नहीं मानी। वह अपने परिवार के साथ दूसरे सुरक्षित पेड़ पर चला गया

कुछ ही दिनों बाद वही हुआ जिसकी नीलकंठ ने आशंका जताई थी। लोग आए और उस टहनी को काट कर ले गए। सारे पक्षी आसमान में भटकते रह गए, लेकिन नीलकंठ और उसका परिवार सुरक्षित रहा।

सब पक्षियों ने नीलकंठ की बुद्धिमानी और दूरदर्शिता की सराहना की और उससे माफ़ी माँगी।

शिक्षा :

जो समय रहते सोचता है, वही विपत्ति से बचता है। बुद्धिमान हमेशा खतरे को पहले ही पहचान लेता है।

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