चार दोस्त | Panchtantra ki Kahani

«चार दोस्त» पंचतंत्र की एक बेहद प्रसिद्ध और प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें सिखाती है कि सच्ची मित्रता और एकता से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है। इस कहानी में एक चूहा, कछुआ, हिरन और कबूतर की दोस्ती और उनके बीच के विश्वास और सहयोग को दर्शाया गया है। यदि आप अपने बच्चों को मित्रता, मदद और समझदारी का पाठ सिखाना चाहते हैं, तो यह panchtantra ki kahani एक आदर्श विकल्प है।

चार दोस्त

बहुत समय पहले एक जंगल में चार अच्छे दोस्त रहते थे — एक चूहा, एक कछुआ, एक हिरन और एक कबूतर। वे सभी अलग-अलग प्रजाति के थे, परंतु उनकी मित्रता बहुत गहरी थी।

एक दिन जब सभी मित्र मिलकर बात कर रहे थे, तभी हिरन वहाँ नहीं पहुँचा। सब चिंतित हो गए। चूहे ने कहा, «हिरन समय पर आ जाता है, ज़रूर कुछ गड़बड़ है।» सभी दोस्त उसकी खोज में निकल पड़े।

कुछ दूर चलने पर उन्होंने देखा कि हिरन शिकारियों के जाल में फँस गया था और बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। कबूतर पेड़ पर बैठकर निगरानी करने लगा, कछुआ दूर छिप गया, और चूहा धीरे-धीरे जाकर अपने पैने दाँतों से जाल काटने लगा

थोड़ी ही देर में चूहे ने जाल काट दिया और हिरन आज़ाद हो गया। इतने में शिकारी आ पहुँचा। उसने देखा कि हिरन भाग चुका है। गुस्से में उसने वहीं पास में धीरे-धीरे चलते हुए कछुए को पकड़ लिया।

अब सभी दोस्त दुखी हो गए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। चूहे ने कहा, «हमें मिलकर कछुए को बचाना होगा।»

हिरन दौड़कर आगे गया और शिकारी के सामने ज़मीन पर लेट गया, जैसे वह मरा हुआ हो। शिकारी खुश हो गया और कछुए को ज़मीन पर रखकर हिरन को उठाने गया।

उसी समय कबूतर ने ध्यान बँटाया, और चूहा दौड़कर आया, कछुए की रस्सी काट दी। कछुआ धीरे-धीरे रेंगकर झाड़ियों में छिप गया। जब शिकारी हिरन के पास पहुँचा, तो हिरन भाग गया।

शिकारी को न हिरन मिला, न कछुआ। चारों दोस्त वापस अपने ठिकाने पर पहुँचे और एक-दूसरे को गले लगाकर मित्रता की जीत का जश्न मनाया

शिक्षा :

सच्चे दोस्त हमेशा एक-दूसरे की मदद करते हैं। एकता में बहुत शक्ति होती है।

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