«सिंह और चूहा» पंचतंत्र की सबसे प्रसिद्ध और छोटी कहानियों में से एक है, जो बच्चों को दयालुता, कृपा, और यह सीख देती है कि कोई भी छोटा नहीं होता। यह कहानी एक शक्तिशाली शेर और एक छोटे से चूहे के बीच के संवाद और विश्वास की मिसाल है। सरल भाषा और सुंदर संदेश के कारण यह कहानी बच्चों के नैतिक विकास के लिए अत्यंत उपयोगी है। आइए पढ़ते हैं यह रोचक और प्रेरणादायक panchtantra ki kahani।

एक जंगल में एक शक्तिशाली सिंह रहता था। एक दिन वह गहरी नींद में सोया हुआ था। तभी एक छोटा सा चूहा वहाँ खेलने आया और अनजाने में शेर के शरीर पर चढ़-दौड़ करने लगा।
शेर की नींद खुल गई। उसने गुस्से में चूहे को अपने पंजों से पकड़ लिया।
«तुम्हारी इतनी हिम्मत कि मेरी नींद खराब करो? अब मैं तुम्हें खा जाऊँगा!» सिंह गरजा।
डर के मारे चूहा काँपने लगा और बोला, «महाराज, मुझे माफ कर दीजिए। मैं बहुत छोटा हूँ, पर एक दिन मैं आपके काम आ सकता हूँ।»
शेर हँसा, «तू मेरी क्या मदद करेगा?» लेकिन उसने चूहे की बात मान ली और उसे छोड़ दिया।
कुछ दिनों बाद शेर जंगल में घूम रहा था कि वह शिकारी के जाल में फँस गया। वह जोर-जोर से दहाड़ने लगा।
आवाज़ सुनकर वही चूहा वहाँ आ पहुँचा। उसने तुरंत अपने तेज़ दाँतों से जाल काटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में शेर को आज़ाद कर दिया।
शेर ने खुश होकर कहा, «मुझे माफ़ करना, मैंने तुम्हें छोटा समझकर मज़ाक उड़ाया था। आज तुमने मेरी जान बचाई।»
चूहे ने मुस्कराकर कहा, «मैंने कहा था न कि एक दिन मैं आपके काम आऊँगा।»
शिक्षा :
कोई भी छोटा नहीं होता। समय आने पर छोटा जीव भी बड़े की मदद कर सकता है।